2025 में कब है हरियाली अमावस्या, जानें इसका महत्व
वर्ष 2025 में हरियाली अमावस्या की तिथि 26 जुलाई, शनिवार को पड़ रही है। यह दिन विशेष रूप से श्रावण मास की अमावस्या तिथि को कहा जाता है और यह पर्यावरण, प्रकृति, और आध्यात्मिक ऊर्जा से जुड़ी एक अत्यंत शुभ तिथि मानी जाती है। खासकर उत्तर भारत, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड जैसे क्षेत्रों में इस दिन का विशेष महत्व होता है।
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Sanjay Purohit
Created AT: 19 जुलाई 2025
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वर्ष 2025 में हरियाली अमावस्या की तिथि 26 जुलाई, शनिवार को पड़ रही है। यह दिन विशेष रूप से श्रावण मास की अमावस्या तिथि को कहा जाता है और यह पर्यावरण, प्रकृति, और आध्यात्मिक ऊर्जा से जुड़ी एक अत्यंत शुभ तिथि मानी जाती है। खासकर उत्तर भारत, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड जैसे क्षेत्रों में इस दिन का विशेष महत्व होता है।

हरियाली अमावस्या का महत्व

हरियाली अमावस्या का नाम ही दर्शाता है कि यह तिथि प्रकृति की हरियाली और जीवनदायिनी शक्ति के सम्मान की प्रतीक है। यह दिन मुख्यतः पृथ्वी, जल, वनस्पति और पर्यावरण संरक्षण से जुड़ा हुआ होता है। श्रावण मास वैसे भी भगवान शिव का प्रिय महीना है, और इस दिन शिवलिंग पर बेलपत्र, जल व दुर्वा अर्पित करने से विशेष पुण्य फल प्राप्त होता है।

इस दिन लोग वटवृक्ष (बरगद), पीपल, नीम, तुलसी आदि पौधों का पूजन करते हैं और नव पौधारोपण भी करते हैं। विशेषकर महिलाएं सौभाग्य, संतान सुख और पति की दीर्घायु के लिए व्रत करती हैं।

आध्यात्मिक दृष्टिकोण से

हरियाली अमावस्या नकारात्मक ऊर्जा के क्षय का दिन माना जाता है। यह तिथि मन, वचन, और कर्म को शुद्ध करने का अवसर देती है। अमावस्या तिथि में साधना और ध्यान का अत्यंत महत्व होता है, और जब यह हरियाली जैसी उर्जावान प्रकृति से जुड़ती है, तब इसका प्रभाव और भी शक्तिशाली हो जाता है।

इस दिन पितरों के निमित्त तर्पण, दान व श्राद्ध करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और उनके आशीर्वाद से जीवन में सुख-समृद्धि आती है। साथ ही यदि कोई अपने जीवन में धन, संतान, या मानसिक शांति की समस्या से जूझ रहा है, तो इस दिन गायत्री मंत्र, महामृत्युंजय मंत्र या नवग्रह मंत्रों का जप विशेष फलदायी होता है।

परंपरा और लोक मान्यताए

हरियाली अमावस्या पर कई जगहों पर झूले, मेले और सांस्कृतिक उत्सव आयोजित किए जाते हैं। महिलाएं हाथों में मेंहदी लगाती हैं, नए वस्त्र पहनती हैं, और गीत-संगीत के माध्यम से प्रकृति के सौंदर्य को नमन करती हैं। यह दिन प्रकृति के साथ सह-अस्तित्व और पर्यावरणीय संतुलन की शिक्षा देता है।

हरियाली अमावस्या केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि प्रकृति की आराधना का दिन है। यह हमें स्मरण कराता है कि जीवन का मूल आधार धरती, जल और हरियाली है। इस दिन किया गया ध्यान, साधना, वृक्षारोपण और सेवा कार्य न केवल आध्यात्मिक उन्नति देता है, बल्कि समाज और पर्यावरण के प्रति हमारी जिम्मेदारी को भी जाग्रत करता है।

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